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रीवा हजुर की सड़कें ज्यादा खतरनाक 6 महीने में सर्वाधिक 486 पहुंचे अस्पताल
रीवा जिला से एम्बुलेंस ने 2127 घायलों को पिक एंड ड्राप किया, एम्बुलेंस 108 के पिक एंड ड्राप के मामले डरवाने हैं। ट्रामा
मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 6 महीने में 2127 घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है इसमें सबसे अधिक हजुर रीवा से पहुंचे हैं। शहर और आसपास ज्यादा दुर्घटनाएं हुई सबसे ज्यादा खतरनाक शहर की सड़कें हैं और खून से लाल
भी हुई है। सड़कें बनीं तो अब एक्ट में भी
इजाफा होने लगा है। आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं। एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या भी बढ़ गई है रीवा में सबसे अधिक खतरनाक सड़कों के ब्लैक प्वाइंट ही है। इन ब्लैक प्वाइंट को सुरक्षित नहीं किया जा सका है। यही वजह है कि एक्सीडेंट पर भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा हर दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं। रीवा की सड़कों पर दौड़ रही संजीवनी 108 एम्बुलेंस के 6 महीनों के रिकार्ड पर
नजर डालें तो यह चौकाने वाले हैं सर्वाधिक एक्सीडेंट वाले मंथ पर नजर डालें तो मई और जून घातक रहे। रीवा में मई में 446 और जून में 379 एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या बढ़ी
घायलों को एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल तक पहुंचाया गया है।
ऐसे में एम्बुलेंस का करें उपयोग
दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति को तुरंत विशेष समयाविध यानी एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाने के समय को गोल्डेन ऑवर कहते हैं शुरू के एक घंटे बहुत ही जरूरी होते हैं। इस गोल्डेन ऑवर में यदि मरीज अस्पताल पहुंच जाता है तो उसके बचने के चांसेज बढ़ जाते हैं। तरुण सिंह
संजय गांधी अस्पताल में अब बीमारियों से कम और एक्सीडेंट से भरने वालों की संख्या ज्यादा हो गई है। पीएम के लिए अब औसतन हर दिन 5 से 6 मामले एक्सीडेंट से मरने वालों के पहुंच रहे हैं। इससे स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक्सीडेंट में भी असुरक्षित वाहन चलाने से ज्यादा जान जा रही है। इंजुरी वजह बन रही है। सिर में चोट लगने से मौत हो रही है। पुलिस हेलमेट और सीट बेल्ट लगाने का अभियान चला रही है। इसके बाद भी लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आते। परिहार, सीनियर मैनेजर 108 एम्बुलेंस सेवा का कहना है कि निजी वाहनों को जगह एम्बुलेंस का उपयोग करें, ताकि घर से ही मरीज को चिकित्सा की सुविधा मिल सके एम्बुलेंस से मरीजों को लाने में घटना
स्थल से ही उपचार शुरू हो जाता है। एम्बुलेंस में पैरामेडिकल स्टाफ रहते हैं। जीवन रक्षक दवाइयां और उपकरण रहते हैं। इससे मरीजों के बचने की संभावनाओं में इजाफा हो जाता है।